Wednesday, 2 July 2014

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं
तुम कह देन कोइ खास नही

कहना एक किस्सा है, बिसरा हुआ
जो बीत गया सो बीत गया
कहना एक शाम थी लम्बी सी
जो गुज़री और सुबह आई
कहना पानी का झरना था,
झर झर बहकर जो भिगा गया
कहना एक बात है छोटी सी,
जो शुरु हुई और खत्म हुई,
कहना सर्दी क सुरज था
कुछ देर दिखा फिर चला गया

सवालों से तुम मत बेहक जाना
सब चाहेंगे तुम कुछ बोलो
फिर खूब कहानी वो बुन देंगे
हर बात पे एक बात बनेगी,
ये हो सकता है,
के सच का अता  पता न रहे,
अपने रिश्ते पर नज़र उठेगी
लम्हे जो ख़ास थे,
हर उस लम्हे का ज़िक्र छिड़ेगा,
हर एक किस्से के साथ
हवा में एक सवाल उड़ाया जायेगा
क्या ठीक हुआ क्यों गलत हुआ
बात बात पर एक बेतुका अनुमान लगाया जायेगा
न चाहते हुए भी उन सवालों पर
अपने रिश्ते का हर सच टटोला जायेगा
हर कड़वे लम्हे का बक्सा भी वहीँ पे खोला जायेगा
ये सोचो इससे अपने हिस्से क्या आएगा
एक खलिश सी भीतर रह जाएगी
और वह जो दोस्ती थी,
जो सालों की धूल के बाद भी
कहीं सुरक्षित थी
वो कहीं खो जाएगी

तो एक गुज़ारिश है तुमसे,
कुछ बीती बातों की खातिर,
कुछ मीठी यादों की खातिर

या उन लम्हों की खातिर,
जाता जिनका एहसास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं 

1 comment:

  1. Woow wow wowww! i think its ur bst one... each nd every line is a treasure.... . . . Nd i toh connect to it soooo much.. . . . . . A moment in life.. . , wen abt a particular aspect u want no one know abt it or even discuss abt it as u kno no one can tk it d way it is fr u urslf.. . . It reminds me of.. . . "बात निकलेेगी तो दूर तलक जाएगी " :) amazing work girl :)

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