Thursday 20 June 2013

Phir...

चलो रुकते हैं, 
कुछ देर यहीं ठहेरते हैं 
तुम भी थक गए होंगे,
मुझसे भागते भागते।

कुछ तुम पलट जाना,
कुछ मैं भी मुड जाउंगी,
अबके मिलेगी नज़र 
कुछ, कांपते कांपते 

कुछ किस्से तुमने समेटे
कुछ बातें हमने भी रोक ली यूँही 
अबके सुनायेंगे कहानी
कुछ हाँफते हाँफते  

लौटेंगे फिर अपनी अपनी  दुनिया में वापस
मुब्हम  सी हसरतें लिए 
करेंगे रात को अलविदा
जागते जागते  

5 comments:

  1. Reading your poems is such a delight. Simple, beautiful and so expressive

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  3. अहा..सुन्दर !

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  4. NYCE...........

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