के अब आना तो यूँ आना
कुछ नया सा भी संग लाना
जो देखूं तुम्हें हसरत भरी निगाहों से
तो ज्यादा सोचना मत, बस तुम भी धीमे से मुस्कुराना
कभी बनकर सुन्हेरी धुप मुझसे तुम लिपट जाना
के बनकर कभी बरसात मेरे साथ हो जाना
कभी जब सोच कर तुमको मैं रातों को न सो पाऊं
मेरे ख्वाबों की डिबिया में तुम एक ख्वाब रख जाना
जिन्होंने हाथ थामा है, उन्हें अब साथ ही रखना
जो खोये से भटकतें हैं, उन्हें भी मोड़ कर लाना
कभी झिलमिल सुबह बनकर ही मिल जाना
कभी उड़ाकर तारों की चादर मुझे यूँही सहलाना
के अब आना तो यूँ आना
कुछ नया सा भी संग लाना
khubsurat ehsas shabdon mein piroye hain
ReplyDeleteShukriya :) :)
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