Sunday 14 October 2012

रात

ये जो रात है ना,
वो कुछ कर देती है मुझे,
मैं तारों को देखती हूँ और 
सोचती हूँ के बस ज़िन्दगी यूँही बीत जाये, 
रात को देखते हुए ही 
रात कितनी खूबसूरत है, है ना?
रात एक शौक है,

ये जो रात है ना,
इसमें कुछ तो बात है
मानो मुझे हर पल कहती हो के 
सब ठीक ही तो है, 
और जो ठीक नहीं है,
वो ठीक हो जायेगा
रात विश्वास है,

ये जो रात है ना,
वो मुझे अक्सर खुद से मिलाती है,
मानो मेरा एक हिस्सा वो अपने पास छुपाये बैठी हो,
मैं सोचती हूं अक्सर के ये कुछ देर और रूकती 
तो कुछ बातें और लम्बी होती,
कुछ दूरियां कुछ देर के लिए ही सही,
पर पास नज़र आती,
कुछ वादे शायद पूरे हो जाते,
एक ख़ुशी बेवजह बंट जाती,
मैं कुछ देर और मैं बन जाती...
रात एक आस है...







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